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समीक्षा: मीडिया का जातिवाद या जातिवादी मीडिया!

हिंदी अख़बारों के संपादकीय पन्नों की समीक्षा संबंधी न्यूज़लॉन्ड्री की दूसरी किस्त किसी भी रूप में मुझे चौंकाती नहीं है. आखिर परिवर्तन होने की गुंजाइश कहां थी कि अखबारों के पन्ने पर किसी को परिवर्तन दिखाई पड़ता! हिन्दी अखबारों के संपादकीय पेज पर नवम्बर के महीने में हालांकि मुसलमानों की उपस्थिति थोड़ी बढ़ी दिख रही […]

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मेरे लिए दुष्यंत

मेरे लिए दुष्यन्त कुमार रात आधी और कमरे में अँधेरा था। उस ड्राइंगरूम-कम-स्टडी-कम-बेडरूम में बीचों-बीच दो चारपाइयाँ बिछी हुई थीं और हम दोनों अपनी-अपनी चारपाइयों पर लेटे सोने की कोशिश या उसका नाटक कर रहे थे। थोड़ी देर पहले हम दोनों बाहर से लड़कर आए थे और रास्ते में हमने एक-दूसरे से बिल्कुल बात नहीं […]

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