शानी

शानी गुलशेर ख़ान (जन्म-16 मई 1933, जगदलपुर, बस्तर, छत्तीसगढ़- मृत्यु 10 फ़रवरी 1995, दिल्ली), हिन्दी के सुपरिचित लेखक, कहानीकार और उपन्यासकार थे। शानी पहले लेखक थे जिन्होंने भारतीय मुसलनमान को अपनी रचनाओं का विषय बनाया। काला जल उनका एक बहुत महत्वपूर्ण अपन्यास है जिसकी पृष्ठभूमि में मुसलमान हैं। वह साक्षात्कार और भारतीय समकालीन जैसी प्रतिष्ठित हिंदी पत्रिकाओं के संस्थापक संपादक थे। उन्होंने कहानी पत्रिका के पुनर्प्रकाशन पर इसका भी संपादन किया। शानी ने स्कूल के दिनों में ही साहित्यिक पत्रिका ज्ञानदीप निकाली जो हस्तलिखित हुआ करती थी।

जीवन:

छत्तीसगढ़ के जगदलपुर, बस्तर में 16 मई 1933 में जन्में शानी ने आरंभिक शिक्षा जगदलपुर में प्रप्त करने के बाद विक्रम विश्वविद्दालय से 1969 में स्नातक की डिग्री ली। मैट्रिक पास करने के पास उन्होंने जगदलपुर नगर निगम में नौकरी कर ली और बाद में मध्य प्रदेश सूचना विभाग के जगदलपुर ऑपिस में नौकरी करने लगे।

1972 में शानी मध्य प्रदेश साहित्य परिषद के सचिव नियुक्त हुए। इस दौरान उन्होंने ‘साक्षात्कार’ नाम की पत्रिका का प्रकाशन और संपादन किया। 1979 में वह दिल्ली आ गए जहां न्होंने कुछ समय के लिए हिंदी के अख़बार ‘नवभारत टाइम्स’ की रवि वार्ता पृष्ठ का संपादन किया। बाद में वह साहित्य अकादमी में हिंदी संपादक नियुक्त हो गए जहां से उन्होंने ‘समकालीन भारतीय साहित्य’ का संपादन किया। 1991 में वह अकादमी से सेवानिवृत हो गए।

शानी आधुनिक हिंदी के पहले महत्वपूर्ण मुस्लिम लेखक थे। उन्होंने पहली बार अपने उपन्यासों और कहानियों में भारतीय मुसलमानों के दुख तकलीफ को बयां किया। उनका बहु प्रसिद्ध अपन्यास काला जल निम्न वर्गीय मुसलमान परिवार की ही गाथा है। 80 के दशक में इस उपन्यास पर नैशलन टेलीविज़न दूरदर्शन पर धारावाहिक भी बना था।

10 फ़रवरी 1995 को  शानी ने दिल्ली में  दुनिया कोअलविदा कह दिया।