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चांद और काला जल

  अस्सलाम-ओ-अलेकुम…मैं हूं आरिफ़ फ़रुख़ी…..मेरी तहरीरों का सिलसिला तालाबंदी का रोज़नामचा जारी है। इस उनवान के तहत जो तहरीर मैं पेश कर रहा हूं उसका नाम है वबा के दिनों में चांद और काला जल। कल चौदहवीं की रात थी..पूरे चांद को देखने के लिये घर से बाहर नहीं निकलना पड़ा। सामने वाले मिर्ज़ा साहब […]

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जन्मदिन विशेष : शानी और उनका ‘काला जल

जन्मदिन विशेष : शानी और उनका ‘काला जलअमरीक हिंदी बल्कि कहना चाहिए कि हिंदुस्तानी उपन्यास के विकास क्रम में ‘काला जल’ की दस्तावेजी अहमियत पहले संस्करण (प्रकाशन काल: 1965) से ही स्थापित हो गई थी। यह शानी की वह महान रचना है जिसने उन्हें भरपूर युवावस्था में ही महानता के निकट कर दिया था। प्रेमचंद-यशपाल […]

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शानी के मानी -ज़ाहिद ख़ान

16 मई, कहानीकार शानी की जयंती शानी के मानी यूं तो दुश्मन होता है और गोयाकि ये तखल्लुस का रिवाज ज्यादातर शायरों में होता है। लेकिन शानी न तो किसी के दुश्मन हो सकते थे और न ही वे शायर थे। हां, अलबत्ता उनके लेखन में शायरों सी भावुकता और काव्यत्मकता जरुर देखने को मिलती […]

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