मूल्यांकन

शानी का मूल्यांकन

…भाषा-साहित्य और संस्कृति के इतिहास में अठारहवीं शताब्दी के मध्य में कुछ ऐसा घटित हुआ कि उसके चलते लगभग दो सौ वर्षों तक हिंदी में लिखने वाला कोई बड़ा मुसलमान साहित्यकार हुआ ही नहीं। इस दृष्टि से देखें तो शानी हिन्दी-आधुनिक खड़ी बोली हिन्दी के पहले बड़े मुसलमान साहित्यकार हैं जो लगभग दो सौ वर्षों […]

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