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प्रगतिशील लेखक संघ, जगदलपुर ने किया शानी को याद
जगदलपुर में जन्मे प्रसिद्ध लेखक ग़ुलशेर ख़ाॅं शानी (16 मई 1933 -10फरवरी 1995 ) की जयंती पर प्रगतिशील लेखक संघ द्वारा संगोष्ठी का आयोजन 16 मई को स्थानीय जिला ग्रंथालय में किया गया।
कार्यक्रम के आरंभ में जगदीश चंद्र दास ने शानी का संक्षिप्त जीवन परिचय और उनकी रचनाओं की जानकारी दी।
इसके बाद ख़ुदेजा ख़ान ने शानी जी की पुत्री सूफ़िया द्वारा प्रेषित आत्मीय संस्मरण को सुनाया । जिसमें उन्होंने अपने पिता शानी के पूरे जीवन को संघर्षपूर्ण बताया और कहा कि वे ग़ालिब और मीर की शायरी से बहुत प्रभावित थे। अपने कथा, उपन्यास के पात्रों के लिए वे विशेष और यथार्थवादी नज़रिया रखते थे। जगदलपुर के लिए उनके मन में गहरी आत्मीयता थी। करमजीत कौर ने काला जल उपन्यास को यथार्थवादी और विशिष्ट बताया। हिमांशु शेखर झा ने शानी को प्रकृति और मानवीय जीवन सम्बन्धों का कुशल चितेरा लेखक कहा।
सुभाष पांडे ने कहा कि शानी का उपन्यास काला जल गूढ़ निहितार्थों की रचना है। सुभाष पांडे ने नदी और नदियों की दुर्दशा पर केंद्रित अपनी कविताओं को श्रोताओं के समक्ष रखा और प्रशंसा पाई। सुषमा झा ने शानी को अपना प्रिय रचनाकार कहा।मदन आचार्य ने शानी के उपन्यास नदी और सीपियाॅं को केंद्रित कर अपने विचार रखे।
शानी की सृजन यात्रा पर अपना वक्तव्य रखते हुए योगेन्द्र मोतीवाला ने शानी को गहरे सामाजिक सरोकारों का कथाकार कहा। उन्होंने शानी को मुस्लिम समाज के यथार्थ का चित्रण करने वाला पहला लेखक बताया। उनकी कहानियों -उपन्यासों में बेवाओं, बच्चों और ग़रीब बेसहारों के लिए गहरी संवेदना है। रचनाओं में प्रकृति का सूक्ष्म चित्रण भी उन्हें विशिष्ट बनाता है।
राजेश सेठिया ने शानी को ऐसा लेखक कहा जिनकी रचनाओं में बौद्धिक शुष्कता नहीं है वरन् उनकी रचनाएं विशिष्ट मानवीय संबंधों को गहरे तक रेखांकित करती हैं। अली एम.सैयद ने शानी की समुदायगत विशिष्ट रचनाशीलता का उल्लेख किया।
एम ए रहीम ने शानी जी से जुड़े आत्मीय संस्मरण सुनाए। इस कार्यक्रम में प्रकाश चंद्र जोशी, गायत्री आचार्य,जोगेश्वरी आचार्य, रामेश्वर प्रसाद चंद्रा , धनंजय बामने भी शामिल थे।संचालन जगदीश चंद्र दास ने किया।
कार्यक्रम के आयोजन में लाला जगदलपुरी केन्द्रीय पुस्तकालय के नोडल अधिकारी अखिलेश मिश्रा और प्रभारी अधिकारी सूरज निर्मलकर का विशिष्ट सहयोग रहा।