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शानी की मानी : ज़ाहिद ख़ान

शानी के मानी यूँ तो दुश्मन होता है और गोयाकि ये तख़ल्लुस का रिवाज ज्यादातर शायरों में होता है। लेकिन शानी न तो किसी के दुश्मन हो सकते थे और न ही वे शायर थे। हाँ, अलबत्ता उनके लेखन में शायरों सी भावुकता और काव्यत्मकता ज़रुर देखने को मिलती। शानी अपने लेखन में जो माहौल […]

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