शानी की 86वीं पुण्य तिथि पर जगदलपुर ने किया याद

प्रगतिशील लेखक संघ, जगदलपुर द्वारा जगदलपुर में जन्मे और देश के गौरव, लब्ध प्रतिष्ठ साहित्यकार गुलशेर खां ‘शानी ‘ का स्मरण करते हुए उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन आकृति संस्था के सभाकक्ष में किया गया. अध्यक्षता प्रोफेसर अली एम सैयद ने की और विशिष्ट वक्ताओं में प्रख्यात रंग कर्मी एम ए रहीम, गोपाल सिम्हा, मदन आचार्य, हिमांशु शेखर झा, प्रोफेसर योगेंद्र मोतीवाला और विजय सिंह थे. विचार गोष्ठी का आरम्भ करते हुए जगदीश चंद्र दास ने शानी जी के आत्म कथ्य के महत्वपूर्ण अंशों का और मदन आचार्य ने शानी जी की कहानी ‘ वीराने ‘ का पाठ किया.

योगेंद्र मोतीवाला ने उनके समग्र व्यक्तित्व और कृतित्व पर अपना आधार वक्तव्य रखा. उन्होंने कहा कि शानी जी की संवेदना का संसार व्यापक और सर्वकालिक है. बस्तर के सरल जन जीवन से लेकर महानगरीय जीवन के संश्लिष्ट संबंधों का चित्रण उनकी रचनाओं में है. हिमांशु शेखर झा ने अपने विस्तृत वक्तव्य में कहा कि शानी जी अभी होते तो उन ताक़तों से लड़ रहे होते जो भयावह सामाजिक विभाजन पैदा कर रहे हैं.

विजय सिंह ने बस्तर के जनजीवन के परिप्रेक्ष्य में शानी के समग्र मूल्यांकन की ज़रूरत बताई. एम ए रहीम ने कहा कि शानी जी का रचना संसार और उनकी संवेदना सार्वकालिक और सार्वभौमिक है. आंचलिकता से उन्हें जोड़कर देखना उचित नहीं होगा….गोपाल सिम्हा ने शानी जी को महान कथा और उपन्यास कार बताया. नई पीढ़ी के कवि प्रखर सिंह ने वादा किया कि वे शानी की रचनाओं का अध्ययन करेंगे और उनके माध्यम से बस्तर के जीवन की पहचान करेंगे. वंदना राठौर ने शानी की कहानी बिरादरी में निहित सामाजिक संबंधों की व्यापक पड़ताल की.

मदन आचार्य ने कहा कि शानी की रचनाओं को पढ़कर वे बस्तर और जगदलपुर के जीवन को गहराई से जान सके. उन्होंने शानी जी की कहानियों – जली हुई रस्सी और रहीम चाचा की व्याख्या की. सुरेश विश्वकर्मा ने बस्तर के जनजीवन की वर्तमान परिस्थितियों पर शानी जैसे रचना कार की आवश्यकता बताई. शरत चंद्र गौड़ ने कहा कि सार्थक और जीवंत लेखन के लिए शानी जी के जैसा जोख़िम उठाना ज़रूरी है.
अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में प्रोफेसर अली एम सैयद ने कहा कि वे शानी की भाषा और शिल्प के मुरीद हैं. शानी के सम्पूर्ण रचना संसार में जो पात्र हैं वो असल और जीवंत हैं, कृत्रिम नहीं. कार्यक्रम में मोहम्मद शोएब अंसारी, एस के श्रीवास्तव, नरेंद्र यादव, राजेश थंथराते, योगेंद्र राठौर, भरत गंगादित्य, विमल तिवारी, इशाक खोर भी उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन जगदीश चंद्र दास ने किया.

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