सांप्रदायिकता के खि़लाफ़ मुहिम में शानी का साहित्य आज भी प्रासंगिक

भोपाल, 10 फरवरी, (भाषा) देश के जाने माने साहित्यकारों ने रविवार को प्रसिद्ध हिन्दी लेखक गुलशेर खान शानी के समग्र साहित्य ‘शानी रचनावली’ और साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित शानी पर लिखे उर्दू विनिबंध (मोनोग्राफ) का लोकार्पण किया। इस मौके पर ‘हिन्दी साहित्य में हाशिये के लोग और शानी की प्रासांगिकता’ विषय पर संगोष्ठी भी आयोजित की गई। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुये प्रख्यात कवि और नाटककार राजेश जोशी ने कहा कि शानी के साहित्य में 2018-19 देश की कहानी प्रतिबिंबित होती हैं यही उनकी सबसे बड़ी प्रासंगिकता है। इस मौके पर शानी रचनावली के संपादक और साहित्यकार डा. जानकीप्रसाद शर्मा ने शानी के बेमिसाल साहित्यिक योगदान को रेखांकित किया और कहा कि शानी ने हमारे धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र के आधारों से संबधित उन सवालों को अपनी कथा रचनाओं के जरिये बेबाकी के साथ उठाया, जिनके जवाबों की तलाश आज भी जारी है और इन्हीं बुनियादी सवालों के आधार पर शानी आज भी प्रासंगिक हैं।

संगोष्ठी को संबोधित करते हुये वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने शानी को याद करते हुये कहा उनके साहित्य में मुस्लिम समाज का सच्चा चित्रण किया है। थानवी ने एक प्रसंग याद दिलाया कि शानी कहते थे कि वो देश भक्ति का झुनझुना ले कर नहीं चलते हैं। उन्होंने कहा ये बात आज के दौर में भी कितनी प्रासंगिक लगती है। जाने माने कहानीकार शशांक ने अपने संबोधन में कहा शानी हमेशा युवा साहित्यकारों को बढ़ावा देते थे। उन्होंने कहा कि शानी के ‘‘काला जल’’ को दस महानतम उपन्यासों में गिना जा सकता है।

गोष्ठी में बोलते हुये राम प्रकाश त्रिपाठी ने शानी ने अपनी रचनाओं के जरिये साहित्य की भाषा मानक भाषा दी है। डा. जानकीप्रसाद शर्मा द्वारा संपादित शानी रचनावली छ: खंडों में प्रकाशित हुई है जिसमें उनके काला जल समेत सभी चारों उपन्यास, समस्त कहानियां, लेख, संपादकीय, साक्षात्कार और पत्र आदि संकलित है। शानी फाउंडेशन और रज़ा फाउंडेशन की इस साझा प्रस्तुति का संचालन डा. सुधीर सक्सेना किया।

https://navbharattimes.indiatimes.com/state/madhya-pradesh/bhopal/indore/urdu-monograph-written-on-shani/articleshow/67932656.cms

Leave a Comment

Please note: Comment moderation is enabled and may delay your comment. There is no need to resubmit your comment.