Blogहलचल

जैसी ज़िन्दगी देखी वैसा लिखना

1976-77 में जब में युवा ही था, लिखना शुरू ही किया था, शानी जी से भेंट हुई। वे मध्य प्रदेश शासन साहित्य परिषद के सचिव थे और वे तब तक इतना अधिक नाम कमा चुके थे कि काला जल का पर्याय उन्हें माना जाता था,  बस्तर का उन्हें पर्याय माना जाता था। उनसे मिलने पर […]

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कई बार मिलकर भी शानी जी से नहीं मिल सका

शीर्षक बहुत ही कन्फ्यूज़ करने वाला है। मिलकर भी नहीं मिल सकना। यह भला कैसी बात हुई? इसका उत्तर मैं क्या दूँ? क्योंकि मैं स्वयं शानीजी के संबंध में कन्फ्यूज़्ड रहा हूँ। शायद इसकी वजह मेरी और उनकी उम्र में बहुत बड़ा अंतर होना ही रहा होगा। सन् 1957 की बात है। जगदलपुर में हमारी […]

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शानी जी के जीवन के दो अनजाने पहलू

शानी जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर बहुत कुछ कहा जा चुका है, बहुत कुछ प्रकाशित हो चुका है, अतः उन्हीं बातों का दोहराव न करते हुए मैं मात्र उनके जीवन के दो अनजाने प्रसंगों का उल्लेख करने की इजाज़त चाहता हूँ, जो केवल यह दर्शाते हैं कि दुनिया में, इस मतलबी दुनिया में सीधे-सादे […]

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