शानी को मुकम्मल स्थान नहीं मिला: साहित्यकार
May 18, 2017
शानी को मुकम्मल स्थान नहीं मिला: साहित्यकार नई दिल्ली: हिन्दी के नामचीन कथाकार गुलशेर खान शानी की जयंती पर मंगलवार (16 मई) यहां साहित्यकारों ने कहा कि उन्हें हिन्दी में वह स्थान नहीं मिला जिसके वह हकदार थे। शानी फाउंडेशन की ओर से 16 मई को ‘शानी का साहित्य और भारतीय समाज की तस्वीर’ विषय […]
आपके लोग आपको भूलेंगे नही शानी जी
May 17, 2017
‘जहाँपनाह जंगल ‘ के दरख्तों की शिनाख़्त करता जगदलपुर के आदिवासी इलाक़े से निकला एक लेखक दिल्ली आते ही अपने ख़ुद की ख़ुद्दारी की बदौलत दिल्ली को उलझन में डाल देता है। ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर के उसूल पर जमा यह शख्स गुलशेर खां शानी ही हैं। शानी जी जब दिल्ली […]
भारतीय समजा की तस्वीर उजागर करती है शानी की लेखनी
May 17, 2017
भारतीय समजा की तस्वीर उजागर करती है शानी की लेखनी
शानी का संसार
May 17, 2017
शानी का संसार धर्मेंद्र सुशांत शानी (1933-1995) को साहित्य-जगत में आमतौर पर ‘काला जल’ के रचनाकार के रूप में जाना जाता है। ‘काला जल’ निस्संदेह हिंदी के सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपन्यासों में से एक है, लेकिन शानी का रचना-संसार यहीं तक सीमित नहीं है, जिसकी पुष्टि उनकी सद्यप्रकाशित रचनावली से होती है। छह खंडों में छपी […]
काला जल : जिसमें शानी, बस्तर और मुस्लिम आबादी का यथार्थ एक साथ मिलते हैं
May 17, 2017
काला जल : जिसमें शानी, बस्तर और मुस्लिम आबादी का यथार्थ एक साथ मिलते हैं कभी-कभी किसी लेखक की एक ही रचना उसे अमर रखने के लिए काफी होती है. आज ही के दिन जन्मे गुलशेर खां शानी की काला जल ऐसी रचनाओं में शामिल है कभी-कभी किसी लेखक की एक ही कृति उसे अमर […]
कभी-कभार : शानी रचनावली
May 17, 2017
कभी-कभार : शानी रचनावली अशोक बाजपेयी कथाकार-गद्यकार-संपादक शानी के देहावसान को बीस बरस से अधिक हो चुके। वे बस्तर के जगदलपुर से ग्वालियर और भोपाल, भोपाल से दिल्ली आए थे। उनका अधिकांश लेखन इन्हीं जगहों पर हुआ। उन्हें उचित ही यह क्लेश बराबर बना रहा कि वे बराबर विस्थापित होते रहे: उनका यह विस्थापन इसलिए […]
शानी एक मुस्लिम हिन्दी लेखक
May 14, 2017
हज हमारी गोमती तीर, जहाँ बसे पीतांबर पीर वाह–वाह किया खूब गावता है हरि का नाम मेरे मन भावता है । नारद–सारद करे खवासी पास बैठी बीवी कमला दासी कंठे माला, जिह्वा राम सहस नाम ले–ले करूँ सलाम । कहत ‘कबीर’ राम गुन गाऊँ । हिन्दू तुरक दोऊ समझाऊँ ॥ हर चीज“मरणोपरांत बदल जाती है […]
vision
May 14, 2017
– फाउंडेशन भारतीय भाषाओँ खासकर उनमें रचित साहित्य को प्रोत्साहन देगी – वो उभरते लेखकों को मदद करेगी – उन्हें शोध, मोनोग्राफ, पुस्तक या लेख लिखने के लिए आर्थिक मदद करेगी – वो प्रकाशकों से लेखकों की किताब छपवाने के लिए संपर्क भी करेगी – भारतीय साहित्य की नवीनतम धाराओं और पहल पर एक त्रैमासिक […]