अशोक वाजपेयी का रचना संसार
September 03, 2021
कवि, आलोचक, रचनाकर्मी अशोक वाजपेयी जी इस वर्ष 16 जनवरी को अस्सी साल के हो गए। इस मौक़े पर आठ अगस्त 2021 को शानी फ़ाउंडेशन ने ‘अशोक वाजपेयी का रचना संसार’ विषय पर एक वेबिनार का आयोजन जिसमें कवि ध्रुव शुक्ल, आलोचक और कवयित्री सविता सिंह, चित्रकार मनीष पुष्कले औऱ आलोचक पंकज चतुर्वेदी ने हिस्सा […]
जैसी ज़िन्दगी देखी वैसा लिखना
December 14, 2020
1976-77 में जब में युवा ही था, लिखना शुरू ही किया था, शानी जी से भेंट हुई। वे मध्य प्रदेश शासन साहित्य परिषद के सचिव थे और वे तब तक इतना अधिक नाम कमा चुके थे कि काला जल का पर्याय उन्हें माना जाता था, बस्तर का उन्हें पर्याय माना जाता था। उनसे मिलने पर […]
कई बार मिलकर भी शानी जी से नहीं मिल सका
December 14, 2020
शीर्षक बहुत ही कन्फ्यूज़ करने वाला है। मिलकर भी नहीं मिल सकना। यह भला कैसी बात हुई? इसका उत्तर मैं क्या दूँ? क्योंकि मैं स्वयं शानीजी के संबंध में कन्फ्यूज़्ड रहा हूँ। शायद इसकी वजह मेरी और उनकी उम्र में बहुत बड़ा अंतर होना ही रहा होगा। सन् 1957 की बात है। जगदलपुर में हमारी […]
शानी जी के जीवन के दो अनजाने पहलू
December 14, 2020
शानी जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर बहुत कुछ कहा जा चुका है, बहुत कुछ प्रकाशित हो चुका है, अतः उन्हीं बातों का दोहराव न करते हुए मैं मात्र उनके जीवन के दो अनजाने प्रसंगों का उल्लेख करने की इजाज़त चाहता हूँ, जो केवल यह दर्शाते हैं कि दुनिया में, इस मतलबी दुनिया में सीधे-सादे […]
शालवनों का द्वीप: क्या बस्तर की वह उन्मुक्त हँसी वापस आयेगी
November 13, 2019
शालवनों का द्वीप: क्या बस्तर की वह उन्मुक्त हँसी वापस आयेगी? बस्तर अपने […]
वरिष्ठ कथाकार शीतेंद्र नाथ चौधरी को प्रथम शानी स्मृति कथा सम्मान
November 13, 2019
“जिस शहर का अपना इतिहास नहीं होता, उसकी अपनी कोई संस्कृति नहीं होती” बिलासपुर में रविवार 10 नवंबर को जनवादी लेखक संघ […]
शानी का नरेटर अब भी उतना ही प्रासंगिक
February 16, 2019
‘शानी की इससे बड़ी प्रासंगिकता और क्या होगी कि शानी का नरेटर जिस भय,शंका और डर से ग्रस्त है,18-19 का भारतीय समाज का नरेटर भी उसी स्तर पर खड़ा है।देशप्रेम का झुनझुना,प्रपंच के बरअक्स शानी ने मुस्लिम समाज की प्रमाणिकता को सही अर्थों में लाने का काम किया है और राजनैतिक संदेश दिया है।कालाजल […]
शानी : जब हम वापस आएँगे
December 18, 2018
जब हम वापस आएँगे तो पहचाने न जाएँगे हो सकता है हम लौटें तुम्हारे घर के सामने छा गई हरियाली की तरह वापस आएँ हम पर तुम जान नहीं पाओगे कि उस हरियाली में हम छिटके हुए हैं ‘समकालीन भारतीय साहित्य के चवालीसवें यानी स्वसंपादित अंतिम अंक (अप्रैल-जून, 1991) के मार्मिक संपादकीय आलेख का समापन […]
अल्पसंख्यकों की भारतीय अस्मिता के सवाल पर शानी और राही मासूम रज़ा के जवाब!
May 18, 2018
अल्पसंख्यकों की भारतीय अस्मिता के सवाल पर शानी और राही मासूम रज़ा दोनों बहुत ही गुस्से से जवाब देते हैं। राही ‘आधा गाँव’ की भूमिका में लिखते हैं कि “जनसंघ का कहना है कि मुसलमान यहाँ के नहीं हैं । मेरी क्या मजाल की मैं झुठलाऊँ । मगर यह कहना ही पड़ता है कि मैं […]
शानी फ़ाउंडेशन के कार्यक्रम क से कलम में स्कूल के बच्चे हिस्सा लेते हुए
November 06, 2017
शानी फ़ाउंडेशन ने रज़ा फ़ाउंडेशन के सहयोग से दिल्ली सरकार के सरकारी स्कूलों में बच्चों में छुपे लेखक और कवि को बाहर निकालने का बीड़ा उठाया है. इसी सिलसिले में मयूर विहार पॉकेट -4 में स्कूल के बच्चों के साथ टीचर्स ने एक आनौपचारिक बैठक की. बच्चों का उत्साह देखने लायक है.